महाशिवरात्रि विशेष - जानिए देश के 12 ज्योतिर्लिंग कौन से हैं ?
सनातन परंपरा में महाशिवरात्रि बड़ा त्यौहार है। इस दिन देश शिव भक्ति में डूबा रहता है। शिव के सबसे बड़े मंदिरों में ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है। कहते हैं ज्योतिर्लिंग वे प्रमुख स्थान है, जहां शिव ने स्वयं ही वे लिंग स्थापित किए थे। महाशिवरात्रि के अलावा भी पूरे साल इन मंदिरों में भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। देश में 12 ज्योतिर्लिंग है। जानते हैं इन विशेष ज्योतिर्लिंगों के बारे में -
1. सोमनाथ मंदिर
12 ज्योतिर्लिंग में सोमनाथ पहला ज्योतिर्लिंग है। वर्तमान में यह पश्चिम समुद्र तट पर स्थित है। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के प्रभास पाटन इलाके में स्थित इस शिवलिंग का निर्माण चंद्रदेव ने किया था। सोमनाथ मंदिर पितृों के श्राद्ध, नारायण बलि आदि धार्मिक कर्म-कांडों के लिए भी प्रसिद्ध है। चैत्र, सावन, भाद्रपद, कार्तिक माह में यहाँ श्राद्ध करने का विशेष महत्व बताया गया है। इन महीनों में यहां श्रद्धालुओं की बडी भीड़ लगती है। सोमनाथ तीर्थ क्षेत्र भगवान कृष्ण के महाप्रयाण से भी जुड़ा है।
2. मल्लिकार्जुन
श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग दूसरा ज्योतिर्लिंग है। यहां शिव शक्ति के साथ विराजमान है। यह ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर स्थित है। इस ज्योर्तिलिंग को दक्षिण का कैलाश कहा जाता है। हिन्दू धर्म ग्रंथों में स्प्ष्ट रूप से लिखा है कि श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव की आराधना करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। यहां मल्लिका यानी पार्वती और अर्जुन यानी महादेव है। भ्रमराम्बिका शक्तिपीठ भी यही स्थित है।
3. महाकालेश्वर
उज्जैन में क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग। यह स्थान तांत्रिकों का प्रिय स्थान है। यहां शिव अपने दक्षिणामूर्ति स्वरूप में भी विराजमान है। उज्जैन में हर 12 साल बाद सिंहस्थ यानी कुंभ मेले का आयोजन होता है। महाकाल का वर्णन करते हुए पुराणों में लिखा है
आकाशे तारकं लिंगं पाताले हाटकेश्वरम् ।
भूलोके च महाकालो लिंड्गत्रय नमोस्तु ते ॥
इसका सीधा सा अर्थ है आकाश में तारक लिंग, पाताल में हाटकेश्वर लिंग तथा पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही मान्य शिवलिंग है।
4. ओंकारेश्वर
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ओंकारेश्वर या ॐकारेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। पुराणों में वायुपुराण और शिवपुराण में ओंकारेश्वर क्षेत्र के बारे में बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि इसी मंदिर में शिव के परम भक्त कुबेर ने तपस्या की थी और शिवलिंग की स्थापना की थी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कुबेर के स्नान के लिए शिवजी ने अपनी जटा से कावेरी नदी उत्पन्न की थी। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग ॐ के आकार के पर्वत पर विराजमान है। कुछ पौराणिक मान्यता के अनुसार यहां भगवान शिव माता पार्वती के साथ चौसर खेलने आते हैं।
5. केदारनाथ
केदारनाथ मंदिर, हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग ज़िले में स्थित है। भगवान शिव के सबसे दुर्लभ मंदिरों में से एक है। ठंड के दिनों में यहां छह महीने कपाट बंद रखे जाते हैं। यह मंदिर पांडव कालीन है। भगवान विष्णु का बद्रीनाथ धाम भी पास है। कहते हैं दोनों जगह के दर्शन के बाद ही यात्रा का पूरा फल मिलता है।
6. भीमाशंकर
सहाद्रि नामक पर्वत पर स्थित है भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग। 12 प्रमुख ज्योतिर्लिगों में भीमाशंकर का स्थान छठा है। यह ज्योतिर्लिंग मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शंकर ने कुंभकरण के पुत्र भीमेश्वर का वध किया था। मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से व्यक्ति को समस्त दुखों से छुटकारा मिल जाता है। यहीं से भीमा नदी भी निकलती है।
7. काशी विश्वनाथ
भगवान शिव के सबसे महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग में से एक है विश्वनाथ। गंगानदी के तट पर स्थित विश्वनाथ वाराणसी नगर में है। जिसे पुराणों में काशी कहा गया है। काशी के बारे में मान्यता है कि यह स्थान भगवान शिव के त्रिशुल पर स्थित है। सभी महापुरुषों ने काशी विश्वनाथ के दर्शन जरूर किए हैं। इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1780 में महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने करवाया था। बाद में महाराजा रणजीत के द्वारा 1853 में एक हज़ार किलो ग्राम सोने से इस मंदिर को बनवाया था।
8. त्र्यम्बकेश्वर
आठवां ज्योतिर्लिंग है त्र्यंबकेशअवर महादेव मंदिर। मान्यता है कि यहां शिवलिंग में ब्रह्मा, विष्णु औ शिव की छवि अंकित है। यह दिव्य मंदिर तीन पहाड़ियों के बीच स्थित है, जिनके नाम ब्रह्मगिरी, निलागिरी और कालगिरी थे। यह मंदिर नासिक के पास स्थित है। नासिक में भी हर 12 साल में कुंभ लगता है।
9. वैद्यनाथ
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग नवा ज्योतिर्लिंग है। इसकी कथा रावण से जुड़ी हुई है। भोलेनाथ यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। यह कामना लिंग के नाम से भी प्रसिद्ध है। कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार जब रावण आत्मलिंग को लंका ले जाना चाह रहा था, तब गलती से रावण से वैद्यनाथ में इसकी स्थापना हो गई।
10. नागेश्वर
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका में स्थित है। मान्यता है कि इस प्राचीन नागेश्वर शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंगों की एक साथ पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। मंदिर में इन अद्भुत शिवलिंगों के दर्शन व पूजन के लिए दूर-दूर से श्रद्घालु आते हैं। यहां कालसर्प दोष और राहु-केतु शांति की पूजा विशेष रूप से होती है।
11. रामेश्वरम
रामेश्वरम ज्योतिर्लिग एक विशेष स्थान रखता है। यहां स्थापित शिवलिंग बारह द्वादश ज्योतिर्लिगों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान राम ने की थी। रामेश्वरम् पर गंगाजल चढ़ाने की मान्यता है। कहते हैं यहां शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाने से सभी मनोकामना पूरी हो जाती है।
12. घृष्णेश्वर
महाराष्ट्र के औरंगाबाद से लगभग 29 कि.मी. की दूर पर वेरुल नामक गांव में घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग है। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में आखिरी माना जाता है। कई ग्रंथों और पुराणों में उल्लेख है कि घुश्मेश्वर महादेव के दर्शन कर लेने से मनुष्य को जीवन का हर सुख मिलता है। इस ज्योतिर्लिंग को घृष्णेश्वर भी कहा जाता है। इस मंदिर का निर्माण देवी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था।

लेखक के बारे में: टीम त्रिलोक
त्रिलोक, वैदिक ज्योतिष, वास्तु शास्त्र और धार्मिक अध्ययनों के प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञों (Subject Matter Experts) की एक टीम है। प्राचीन ज्ञान और आधुनिक संदर्भ के समन्वय पर केंद्रित, त्रिलोक टीम ग्रहों के प्रभाव, आध्यात्मिक अनुष्ठानों और सनातन धर्म की परंपराओं पर गहन और शोध-आधारित जानकारी प्रदान करती है।
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