चैत्र नवरात्रि विशेष - दुर्गासप्तशती के किस अध्याय से क्या मिलेगा लाभ ?

चैत्र नवरात्रि विशेष - दुर्गासप्तशती के किस अध्याय से क्या मिलेगा लाभ ?

चैत्र नवरात्रि विशेष - दुर्गासप्तशती के किस अध्याय से क्या मिलेगा लाभ ?

नवरात्रि में माता दुर्गा की आराधना का विधान है। माता दुर्गा को प्रसन्न करने का सबसे बड़ा साधन दुर्गा सप्तशती को माना जाता है। हिंदू धर्म में पुराणों में का महत्व बहुत अधिक है। इनमें भी मार्केण्डेय पुराण का बड़ा महत्व है। माता दुर्गा को प्रिय लगने वाला सप्तशती पाठ मार्कण्डेय पुराण का ही हिस्सा है। इसमें माता के करुणा, वात्सल्य, साहसी रूप का प्रदर्शन करते 700 श्लोक दिए गए हैं और मां के विशेष रूपों का वर्णन किया गया है। कहते हैं दुर्गासप्तशती पाठ करने से समस्त मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। सभी प्रकार के दैहिक, वैदिक और भौतिक लाभों की प्राप्ति होती है। इससे व्यक्ति के जीवन से मारक दशाएं भी खत्म हो जाती है । दुर्गासप्तशती पाठ करने के कई नियम है। आमतौर पर इतना बड़ा पाठ करना सबके लिए संभव नहीं हो पाता है, इसलिए कई लोग दुर्गासप्तशती के विशेष अध्यायों का पाठ भी करते हैं।   64 Yogini Mahakali Tnatrik Puja  

दुर्गा पाठ का फल - सिद्ध कुंजिका स्तोत्र

रुद्रयामल तंत्र के अनुसार सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पढ़ने से भी दुर्गासप्तशती के पाठ का लाभ मिल जाता है। हालांकि कई जगह पर लिखा गया है कि दुर्गासप्तशती पाठ के केवल चौथे पाठ को पढ़ने से भी संपूर्ण दुर्गासप्तशती के पाठ का लाभ मिल जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि चौथा अध्याय पढ़ने से भी माता के दर्शनों का सौभाग्य मिल जाता है। इससे जीवन की कई परेशानियां खत्म हो जाती है। यदि आप केवल कुंजिका स्तोत्र का पाठ करते हैं, तो कम से कम 108 पाठ करके माता के लिए हवन भी करें। माता को हवन के बाद खीर, हलवा आदि का भोग भी लगाएं।

दुर्गा सप्तशती के किस अध्याय का क्या फल ?

  • पहला अध्याय – दुर्गा सप्तशती का पहला अध्याय पढ़ने से सभी प्रकार की चिंताएं दूर होती हैं।
  • दूसरा अध्याय – दुर्गा सप्तशती का दूसरा अध्याय पढ़ने से शत्रु-बाधा दूर होती है। कोर्ट कचहरी में लाभ मिलता है।
  • तीसरा अध्याय – सप्तशती का तीसरा अध्याय पढ़ने से विरोधी समाप्त हो जाते हैं।
  • चौथा अध्याय – चौथा अध्याय का पाठ करने से मां दुर्गा के दर्शनों का सौभाग्य मिलता है।
  • पांचवा अध्याय – पांचवा अध्याय करने से मनोकामना पूरी होती है।
  • छठा अध्याय – छठा अध्याय का पाठ करने से दु:ख, दारिद्रय, भय आदि दूर होता है।
  • सातवां अध्याय – सातवें अध्याय करने से सौभाग्य मिलता है और कार्यों की सिद्धि होती है।
  • आठवां अध्याय – दुर्गासप्तशती का आठवां अध्याय आपके जीवन को प्रेम और मित्रता से परिपूर्ण कर देता है।
  • नवा अध्याय – नवां अध्याय संतान की उन्नति होती है। साथ ही आपके जीवन से कई समस्याएं समाप्त होती है।
  • दसवा अध्याय – दसवां अध्यान करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है और धन-धान्य बढ़ता है।
  • ग्यारहवा अध्याय –ग्यारहवां अध्याय समस्त भौतिक सुख प्राप्त होते हैं।
  • बारहवांअध्याय – बारहवें अ​ध्याय समस्त लाभ दिलाने वाला माना जाता है।
  • त्रयोदश अध्याय – तेरहवां अध्याय मोक्ष प्रदाता है।

दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय ध्यान रखें ये बातें

  • दुर्गा सप्तशती के पाठ करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं सप्तशती पाठ करते समय किन गलतियों को करने से बचना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, दुर्गा सप्तशती का पाठ वही व्यक्ति करे जिसने नवरात्रि में अपने घर में कलश की स्थापना की है। श्री दुर्गा सप्तशती की पुस्तक हाथ में लेकर नहीं पढ़ना चाहिए। इसके लिए एक साफ चौकी में लाल कपड़ा बिछा लें।
  •  इसके बाद पुस्तक रखें और कुमकुम, चावल और फूल से पूजा करें।
  •  फिर अपने सिर पर तिलक करके ही पाठ का आरंभ करें।
  •  श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ को शुरू करने से पहले और समाप्त करने के बाद रोजाना नर्वाण मंत्र 'ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' का पाठ जरूर करें। सभी पाठ पूर्ण माना जाता है।
  •  दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय तन के साथ-साथ मन भी साफ होना चाहिए। इसलिए पाठ करने से पहले स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण कर लें।
  •  दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय हर एक शब्द का सही और स्पष्ट उच्चारण करें। इसके साथ ही तेज आवाज में पाठ न करें। अगर संस्कृत में कठिन लग रहा है, तो हिंदी में पाठ कर सकते हैं।
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लेखक के बारे में: टीम त्रिलोक

त्रिलोक, वैदिक ज्योतिष, वास्तु शास्त्र और धार्मिक अध्ययनों के प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञों (Subject Matter Experts) की एक टीम है। प्राचीन ज्ञान और आधुनिक संदर्भ के समन्वय पर केंद्रित, त्रिलोक टीम ग्रहों के प्रभाव, आध्यात्मिक अनुष्ठानों और सनातन धर्म की परंपराओं पर गहन और शोध-आधारित जानकारी प्रदान करती है।

प्रामाणिकता के प्रति समर्पित, इस टीम में प्रमाणित ज्योतिषी और वैदिक विद्वान शामिल हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक लेख शास्त्र-सम्मत और तथ्यपरक हो। सटीक राशिफल, शुभ मुहूर्त और धार्मिक पर्वों की विस्तृत जानकारी चाहने वाले पाठकों के लिए त्रिलोक एक विश्वसनीय और आधिकारिक स्रोत है।

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