
ईशान कोण क्या है और इसका वास्तु में महत्व क्यों है?

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ईशान कोण क्या है और इसका वास्तु में महत्व क्यों है?
वास्तु को ज्योतिष में एक विज्ञान की तरह देखा जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार सबसे शुभ दिशा उत्तर पूर्व की मानी जाती है। इसे ईशान कोण कहा जाता है। ईशान भगवान शिव का भी एक नाम है। ईशान कोण में वास्तु पुरुष का सिर माना जाता है। इसे देवी-देवताओं की दिशा भी कहा जाता है। यही वजह यह दिशा इतनी खास है। वास्तु से जुड़े कई उपायों में इस दिशा को विशेष रूप से महत्व दिया जाता है। तो जानते हैं कि आखिर ईशान कोण इतना अहम क्यों होता है, और इस दिशा में क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा, देवताओं का स्थान मानी जाती है। इसे पवित्रता, अध्यात्म और सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र कहा गया है। मान्यता है कि इस दिशा में भगवान शिव और जल देवता वरुण का वास होता है। जल के कारण ही पृथ्वी पर यही वजह है कि घर का मंदिर, ध्यान स्थल या पूजा घर इसी दिशा में बनाना बेहद शुभ माना गया है। सूरज की पहली किरणें इसी दिशा से घर में प्रवेश करती हैं, जिससे सकारात्मक ऊर्जा और ब्रह्मांडीय शक्ति का प्रवाह होता है। यदि ईशान कोण स्वच्छ, खुला और संतुलित रहे तो घर में सुख, शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि स्वतः बनी रहती है। यही कारण है कि वास्तु शास्त्र में इस दिशा को सर्वोच्च स्थान दिया गया है।
आप ईशान कोण में क्या करें?
- इस दिशा में मंदिर या पूजा स्थल बनाना सबसे शुभ माना गया है। पूजा करते समय व्यक्ति का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
- ईशान कोण में बोरवेल, हौज, जल स्रोत या पानी की टंकी बनवाना भी शुभ माना जाता है क्योंकि यह दिशा जल तत्व से जुड़ी हुई है।
- इस क्षेत्र को खुला, हवादार और साफ-सुथरा रखना चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- यहां पर आप छोटा बगीचा, तुलसी का पौधा या जल पौधे भी लगा सकते हैं। इससे न केवल सौंदर्य बढ़ेगा बल्कि ऊर्जा संतुलन भी बेहतर होगा।
ईशान कोण में क्या नहीं करना चाहिए?
- इस दिशा में सीढ़ियां, बाथरूम, स्टोर रूम या कोई भारी निर्माण नहीं होना चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा रुक जाती है और वास्तु दोष उत्पन्न होता है।
- किचन या शौचालय का निर्माण ईशान कोण में करना अशुभ माना जाता है। इससे मानसिक अशांति, स्वास्थ्य समस्याएं और धन हानि हो सकती हैं।
- इस दिशा में बेडरूम या तिजोरी भी नहीं होनी चाहिए। इससे पारिवारिक तनाव, अस्थिरता और आर्थिक समस्याएं बढ़ सकती हैं।
- कचरा, टूटे फूटे सामान या भारी मशीनें भी इस दिशा में नहीं रखनी चाहिए।
- ईशान कोण में मुंह करके कभी नहीं सोना चाहिए।
जीवन में ईशान कोण को किस तरह अपनाएं
- घर में पूजा पाठ इसी दिशा में बैठकर करें।
- अपने कार्यालय या व्यापारिक स्थल पर ईशान कोण में ही बैठकर बड़े निर्णय लें।
- बच्चों को ईशान कोण की दिशा में मुंह करके ही पढ़ना चाहिए।
- बड़े मंत्र जाप या ध्यान आदि ईशान कोण में बैठकर करें।
वास्तु शास्त्र के अनुसार ईशान कोण को देवताओं का स्थान माना गया है और यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा का प्रमुख स्रोत होती है। यदि इस दिशा का उचित उपयोग किया जाए और यहां की स्वच्छता व पवित्रता का ध्यान रखा जाए, तो जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति का प्रवाह बना रहता है। इसलिए ईशान कोण में हमेशा शुभ कार्यों, पूजा स्थलों और जल स्रोतों को ही प्राथमिकता दें और अशुभ चीजों से बचें।
लेखक के बारे में: टीम त्रिलोक
त्रिलोक, वैदिक ज्योतिष, वास्तु शास्त्र और धार्मिक अध्ययनों के प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञों (Subject Matter Experts) की एक टीम है। प्राचीन ज्ञान और आधुनिक संदर्भ के समन्वय पर केंद्रित, त्रिलोक टीम ग्रहों के प्रभाव, आध्यात्मिक अनुष्ठानों और सनातन धर्म की परंपराओं पर गहन और शोध-आधारित जानकारी प्रदान करती है।
प्रामाणिकता के प्रति समर्पित, इस टीम में प्रमाणित ज्योतिषी और वैदिक विद्वान शामिल हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक लेख शास्त्र-सम्मत और तथ्यपरक हो। सटीक राशिफल, शुभ मुहूर्त और धार्मिक पर्वों की विस्तृत जानकारी चाहने वाले पाठकों के लिए त्रिलोक एक विश्वसनीय और आधिकारिक स्रोत है।