आपकी कुंडली में केतु किस भाव में है, जानिए केतु का असर

आपकी कुंडली में केतु किस भाव में है, जानिए केतु का असर

आपकी कुंडली में केतु किस भाव में है, जानिए केतु का असर

कुंडली के 12 भावों में नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु विचरण करते हैं। इन नौ ग्रहों में केतु एक छाया ग्रह है, लेकिन जन्म कुंडली में यह जिस भाव में स्थित होता है, उससे संबंधित क्षेत्र में व्यक्ति पर जीवनभर असर डालता है। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि केतु अशुभ ग्रह माना जाता है, लेकिन कई बार केतु का प्रभाव शुभ होता है, लेकिन केतु शुभ फल भी प्रदान करता है। खासकर तब जब केतु की महादशा हो। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार केतु और राहु दोनों की स्थिति के अनुसार ही कालसर्प योग निर्मित होता है यहां जानिए कुंडली में केतु का किस भाव में कैसा असर होता है...

कुंडली के प्रथम भाव में केतु

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में केतु प्रथम भाव में स्थित है, तो इस स्थिति से व्यक्ति व्यापार में या सेवा क्षेत्र में संतोषजनक उपलब्धि हासिल करता है। इन्हें आध्यात्मिक क्षेत्र में सफलता मिल सकती है। कभी-कभी पारिवारिक जीवन तनावपूर्ण रहता है। सिर दर्द की समस्या हो सकती है। जीवन साथी और बच्चे के जन्म या स्वास्थ्य की चिंता रह सकती है।

कुंडली के द्वितीय भाव में केतु

जिन लोगों की कुंडली में केतु द्वितीय भाव में होता है, उनके लिए यात्राएं लाभकारी होती हैं। ये लोग जीवन में कई उपलब्धियां हासिल करते हैं। ये लोग धन को भविष्य के लिए बचाने के लिए सक्षम नहीं हो पाते हैं। सामान्यत: केतु की इस स्थिति के कारण संतान बुढ़ापे में मददगार नहीं होती है।

कुंडली के तृतीय भाव में केतु

यदि कुंडली के तृतीय भाव में केतु स्थित हो तो व्यक्ति को ससुराल वालों से या दोस्तों और भाइयों से विशेष लाभ मिलता है। 45 वर्ष की आयु के बाद इनके धन की हानि हो सकती है। इस कारण इन्हें कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इनकी आयु अधिक रहती है।

चतुर्थ भाव में केतु

कुंडली में केतु की इस स्थिति के कारण व्यक्ति भगवान का सम्मान करने वाला होता है। ऐसे लोग अध्यापक, बड़ों और अपने पूरे कुल को जीवन में खुशी देने वाले होते हैं। ये लोग कई प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त रहते हैं। इनका बचपन ठीक-ठाक रहता है।

कुंडली के पंचम भाव में केतु

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के पंचम भाव में केतु हो तो व्यक्ति आर्थिक रूप से सक्षम रहने वाला होता है। इनका किसी से वाद-विवाद भी नहीं होता है। केतु की इस स्थिति के कारण कुछ लोग को वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इनके जीवन में 45 साल की उम्र के बाद बुरा समय आ सकता है।

कुंडली के षष्ठम भाव में केतु

जिन लोगों की कुंडली में केतु षष्ठम भाव में स्थित है, उनका जीवन एक समान चलता रहता है। इन्हें मां से प्रेम मिलता है। ये लोग खुश रहने वाले, हंसमुख होते हैं। विदेश में या घर से दूर भी सहज ही रहते हैं। इनके कई दुश्मन हो सकते हैं।

सप्तम भाव में केतु

यदि कुंडली के सप्तम भाव में केतु स्थित हो तो व्यक्ति दुश्मनों पर विजय प्राप्त करने वाला होता है। इन्हें 35 की उम्र के बाद मान-सम्मान और धन लाभ मिल सकता है। इन्हें अहंकार, झूठे वादे और अभद्र भाषा के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

कुंडली के अष्टम भाव में केतु

कुंडली के अष्टम इस भाव में केतु अच्छा माना जाता है। इस स्थिति के कारण व्यक्ति भावना पूर्ण होते हैं। सदा दूसरे का भला सोचने वाले होते हैं। जीवन में 34 वर्ष के बाद बड़ी सफलता मिल सकती है। बीमारियां सदा बनी रहती हैं।

कुंडली के नवम भाव में केतु

केतु की इस स्थिति के कारण व्यक्ति योग्य और बहादुर होता है। केतु के कारण इन लोगों के पास पर्याप्त पैसा होता है। साथ ही, ये लोग धन संबंधी कार्यों में तेजी से सफलता प्राप्त करते हैं।

दशम भाव में केतु

केतु की इस स्थिति के कारण व्यक्ति प्रसिद्ध होता है। इनका झुकाव खेलों की ओर अधिक होता है। व्यक्तित्व आकर्षक हो सकता है। इनका जीवन साथी बहुत ही सुंदर होता है। ये लोग अपने भाइयों की मदद करते हैं।

एकादश भाव में केतु

इस ग्रह स्थिति के कारण व्यक्ति हमेशा भविष्य के बारे में सोचता रहता है। इसी वजह से ये लोग काम पर ध्यान नहीं लगा पाते हैं। इनके पास पर्याप्त धन रहता है। मन में भयभीत रहने वाले, लेकिन शरीर से शक्तिशाली दिखाई देने वाले हो सकते हैं। ये लोग अच्छे व्यवस्थापक या शासक हो सकते हैं।

कुंडली के द्वादश भाव में केतु

ये लोग हमेशा आगे बढ़ते रहते हैं, लेकिन व्यवसाय या सेवा कार्य बार-बार बदलने से इनके धन लाभ में कमी हो जाती है। यदि ये लोग सभी प्रकार की विलासिता को छोड़ देते हैं तो काफी लाभ प्राप्त होता है।

लेखक के बारे में: टीम त्रिलोक

त्रिलोक, वैदिक ज्योतिष, वास्तु शास्त्र और धार्मिक अध्ययनों के प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञों (Subject Matter Experts) की एक टीम है। प्राचीन ज्ञान और आधुनिक संदर्भ के समन्वय पर केंद्रित, त्रिलोक टीम ग्रहों के प्रभाव, आध्यात्मिक अनुष्ठानों और सनातन धर्म की परंपराओं पर गहन और शोध-आधारित जानकारी प्रदान करती है।

प्रामाणिकता के प्रति समर्पित, इस टीम में प्रमाणित ज्योतिषी और वैदिक विद्वान शामिल हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक लेख शास्त्र-सम्मत और तथ्यपरक हो। सटीक राशिफल, शुभ मुहूर्त और धार्मिक पर्वों की विस्तृत जानकारी चाहने वाले पाठकों के लिए त्रिलोक एक विश्वसनीय और आधिकारिक स्रोत है।

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