कुंभ मेला 2025 कब है और जानिए इसके शाही स्नान की तारीख
12 साल में एक बार आने वाला कुंभ मेला प्रयागराज में जनवरी 2025 से शुरू हो रहा है। मान्यता है कि प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में महत्वपूर्ण त्यौहारों पर स्नान करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और व्यक्ति को धन, धान्य, समृद्धि प्राप्त होती है। मोक्ष प्राप्ति के उसके द्वार खुल जाते है। प्रयागराज में कुंभ मेले के बारे में पौराणिक यह श्लोक काफी प्रचलित है।
मकरस्थे दिवानाथे वृषराशिगते गुरौ ||
प्रयागे कुंभ योगो वै माघमासे विधुक्षये ||
यानी कि जब वृषभ राशि में गुरु हो और सूर्य मकर राशि में आता है, तब कुंभ मेला का आयोजन होता है।
कुंभ मेला कहां आयोजित होता है
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब समुद्र मंथन से अमृत कलश प्राप्त हुआ, तब राक्षसों और देवताओं के विवाद में कुछ बूंदें पृथ्वी पर गिरी। जिन स्थानों पर यह बूंद गिरी थी, वहां आज कुंभ मेला आयोजित होता है। ये स्थान हैं-
हरिद्वार, उज्जैन, प्रयागराज और नासिक। इस वर्ष प्रयागराज में कुंभ मेला आयोजित हो रहा है।
कुंभ से जुड़ी कथा (अमृत कलश)
कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत कलश की रक्षा के लिए जब देवताओं और दानवों में युद्ध हुआ, तो उस कलश की रक्षा करते हुए अमृत की कुछ बूंदें धरती पर भी गिरी। जहाँ ये बूंदें गिरी वहां महाकुंभ का आयोजन होता है। सूर्यदेव, चंद्रदेव और देवगुरु बृहस्पति ने इस अमृत को बचाने का अधिक प्रयास किया था, इसलिए इनके संयोग से पड़ने वाले योग के कारण ही महाकुंभ पर्व मनाया जाता है। इस समय पवित्र नदियों में स्नान करने से समस्त इच्छाएं पूरी होती है और शरीर रोग से रहित होता है।
कुंभ स्नान की प्रमुख तिथियाँ (Kumbh Mela Dates):
कुंभ पर्व में स्नान कब करें ये बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।
तिथि स्नान तारीख
पौष एकादशी तिथि10 जनवरी 2025
पौष पूर्णिमा 13 जनवरी 2025
मकर संक्रांति (शाही स्नान)14 जनवरी 2025
मौनी अमावस्या (शाही स्नान)29 जनवरी 2025
बसंत पंचमी (शाही स्नान)2 फरवरी 2025
रथ सप्तमी (महत्वपूर्ण स्नान)4 फरवरी 2025
माघी पूर्णिमा (महत्वपूर्ण स्नान)12 फरवरी 2025
महाशिवरात्रि (महत्वपूर्ण स्नान)26 फरवरी 2025
पहला स्नान 10 जनवरी 2025
10 जनवरी के दिन पौष मास की एकादशी तिथि को कुंभ का पहला स्नान किया जाएगा। इस एकादशी को पुत्रदा एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन स्नान और दान पुण्य देने से विशेष पुण्य लाभ होता है।
दूसरा स्नान 13 जनवरी 2025
पौष मास की पूर्णिमा तिथि पर सोमवार के दिन दूसरा स्नान किया जाएगा। इस दिन त्रिवेणी संगम में स्नान करने से पुण्य और लाभ मिलता है। मतांतर से एकादशी और पूर्णिमा अलग-अलग तिथि पर स्नान करने का महत्व है।
तीसरा स्नान 14 जनवरी 2025
पौष मास कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मंगलवार के दिन तीसरा स्नान किया जाएगा। इस दिन सूर्य की संक्रांति होने से इस दिन स्नान और दान का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। इस दिन गंगा स्नान के साथ-साथ त्रिवेणी संगम में स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन पहला शाही स्नान होता है।
चौथा स्नान 29 जनवरी 2025
माघ मास की अमावस्या तिथि पर चौथा स्नान होता है। इस दिन को मौनी अमावस्या तिथि कहा जाता है। यह बेहद खास दिन होता है। इस दिन स्नान से समस्त नकारात्मकता दूर हो जाती है।
पाचवां स्नान 2 फरवरी 2025
माघ मास की पंचमी तिथि के दिन पांचवा स्नान किया जाता है। इस समय गुप्त नवरात्रि चल रही होगी। बसंत पंचमी का दिन होगा।
छठा स्नान 4 फ़रवरी 2025
माघ के महीने की सप्तमी के दिन छठा स्नान होता है। इस दिन रथ सप्तमी मंगलवार के दिन गंगा और त्रिवेणी संगम में स्नान करने का पुण्य फल प्रप्त होता है
सातवाँ स्नान 12 फ़रवरी 2025
माघ मास की पूर्णिमा तिथि के दिन सूर्य कुंभ में संक्रांति कर रहे हैं। इस लिए ये दिन और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। इस दिन के पुण्य स्नान को शास्त्रों में विशेष महत्वपूर्ण बताया गया है। इस दिन को माघ माह के स्नान की अंतिम तिथि के रूप में भी जाना जाता है।
आठवां स्नान 26 फ़रवरी 2025
फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन कुंभ पर्व का अंतिम स्नान होगा। इस दिन महाशिवरात्रि भी है। इसी दिन कुंभ मेले का समापन होता है। इस दिन महास्नान से रोग-शोक दूर होते हैं।
लेखक के बारे में: टीम त्रिलोक
त्रिलोक, वैदिक ज्योतिष, वास्तु शास्त्र और धार्मिक अध्ययनों के प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञों (Subject Matter Experts) की एक टीम है। प्राचीन ज्ञान और आधुनिक संदर्भ के समन्वय पर केंद्रित, त्रिलोक टीम ग्रहों के प्रभाव, आध्यात्मिक अनुष्ठानों और सनातन धर्म की परंपराओं पर गहन और शोध-आधारित जानकारी प्रदान करती है।
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