नवरात्रि में करिए सिद्ध कुंजिका पाठ, होगी सभी मनोकामनाएं पूरी

नवरात्रि में करिए सिद्ध कुंजिका पाठ, होगी सभी मनोकामनाएं पूरी

करिए सिद्ध कुंजिका पाठ, होगी सभी मनोकामनाएं पूरी

दुर्गासप्तशती में सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पाठ दिया गया है। इस पाठ में साफतौर पर लिखा गया है कि यदि दुर्गासप्तशती का पाठ करते हैं, तो भी कुंजिका पाठ करना जरूरी होता है। वहीं यदि केवल कुंजिका पाठ करते हैं, तब दुर्गापाठ की जरूरत नहीं है। इस पाठ में कवच, अर्गला, कीलक, रहस्य, सूक्त, ध्यान, न्यास और अर्चन भी आवश्यक नहीं है। केवल कुंजिका स्तोत्र के पाठ मात्र से ही दुर्गा पाठ का फल प्राप्त हो जाता है। कुंजिका अत्यंत गुप्त है और सभी देवताओं के लिए भी यह परम दुर्लभ है। नवरात्रि में इसका पाठ कैसे करना है, हम यहां इसकी जानकारी दे रहे हैं। यदि आप संस्कृत में पाठ नहीं कर सकते हैं, तो आप हिंदी अनुवाद भी पढ़ सकते हैं।   Mahachamatkari Baglamukhi Lal Mirch  

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र क्या है

कुंजिका स्तोत्र माता पार्वती और भगवान शिव के बीच संवाद है। कुंजिका का अर्थ है चाबी। भगवान शिव ने इसे दुर्गासप्तशती से प्राप्त होने वाली शक्ति को नियंत्रित करके सुंदरकार्यों में लगाने की चाबी माना है। वहीं कुछ विद्वान इसका अर्थ यह भी लगाते हैं कि यह एक ऐसा पूर्ण स्तोत्र है, जिससे माता दुर्गा की संपूर्ण स्तुति हो जाती है। इस पाठ के बाद माता की कृपा पाने के लिए किसी अन्य पाठ की जरूरत नहीं होती है।

कैसे करें कुंजिका स्तोत्र का पाठ

  •  नवरात्रि के दौरान रोजाना इसका पाठ करना चाहिए।
  • जब अष्टमी तिथि समाप्त हो रही हो, और नवमी तिथि लगने वाली हो, उस समय इसका पाठ करना अत्यधिक अच्छा माना जाता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार मां ने इस समय में चंड और मुंड नामक राक्षसों का वध किया था।
  •  नवरात्रि के समय रात्रि में मां के सामने घी का दीपक प्रज्वलित करके इसका पाठ करना चाहिए।
  •  स्तोत्र पाठ के साथ मां को प्रतिदिन भोग जरूर अर्पण करें।
  •  संकल्प लेकर प्रतिदिन निश्चित संख्या में जाप करें।
  •  इस स्तोत्र पाठ के बाद छोटी कन्याओं को भोजन जरूर करवाएं।
  •  यदि इस पाठ के बाद आप दुर्गासप्तशती का पाठ करते हैं, तो आपको विशेष सिद्धि प्राप्त होती है।
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सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के लाभ

  • इस पाठ में भगवान शिव ने स्वयं कहा है कि यह पाठ दुर्गासप्तशती के पाठ के बराबर है।
  •  कुंजिका पाठ करने मात्र से मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती है। इसके बाद उन्हें प्रसन्न करने के लिए किसी और हवन की जरूरत नहीं होती है।
  •  शत्रुओं का नाश करने के लिए रोजाना कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
  •  कुंजिका स्तोत्र में कई बीज मंत्र भी शामिल है, जिनसे मां अत्यधिक प्रसन्न होती है।
  •  इस स्तोत्र पाठ से जीवन में धन, संतान और सौभाग्य की प्राप्त होती है।
  •  संकट आने पर कुंजिका स्तोत्र पाठ से समस्त दुख दूर होते हैं।

लेखक के बारे में: टीम त्रिलोक

त्रिलोक, वैदिक ज्योतिष, वास्तु शास्त्र और धार्मिक अध्ययनों के प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञों (Subject Matter Experts) की एक टीम है। प्राचीन ज्ञान और आधुनिक संदर्भ के समन्वय पर केंद्रित, त्रिलोक टीम ग्रहों के प्रभाव, आध्यात्मिक अनुष्ठानों और सनातन धर्म की परंपराओं पर गहन और शोध-आधारित जानकारी प्रदान करती है।

प्रामाणिकता के प्रति समर्पित, इस टीम में प्रमाणित ज्योतिषी और वैदिक विद्वान शामिल हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक लेख शास्त्र-सम्मत और तथ्यपरक हो। सटीक राशिफल, शुभ मुहूर्त और धार्मिक पर्वों की विस्तृत जानकारी चाहने वाले पाठकों के लिए त्रिलोक एक विश्वसनीय और आधिकारिक स्रोत है।

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