
महाकाल ज्योतिर्लिंग - रहस्य, पूजा विधि और मंत्र

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पूजा
महाकाल ज्योतिर्लिंग - रहस्य, पूजा विधि और मंत्र
देश के सभी ज्योतिर्लिंग ऊर्जा का स्रोत है। सभी 12 ज्योतिर्लिंग का अपना विशेष महत्व है। ये वे स्थान है, जहां शिव साक्षात प्रकट हुए और अपनी ऊर्जा को ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित किया। आज भी भगवान शिव की प्रत्यक्ष ऊर्जा इन सभी ज्योतिर्लिंग में है और भक्तों को यहां से मनचाहा आशीर्वाद प्राप्त होता है। इन सभी ज्योर्तिलिंगों में भगवान महाकाल का महत्व बहुत अधिक है। यह मंदिर अपनी ऊर्जा और रहस्यों के लिए प्रसिद्ध है। महाकाल को काल का देवता कहा जाता है। कुछ लोग महाकाल को काल यानी समय का देवता और कुछ लोग काल यानी मृत्यु का देवता कहते हैं। महाकाल ने दूषण नामक राक्षस का वध यहां किया था, इसके बाद से ऊर्जा स्वरूप शिव यहीं विराजमान हो गए।
दक्षिणामूर्ति है भगवान
महाकाल एक मात्र ज्योतिर्लिंग है, जो दक्षिणामुखी है। दक्षिण को यमराज की दिशा मानी जाती है, इसलिए उन्हें मृत्यु का देवता भी कहा जाता है। दक्षिणामुखी होने के कारण यहां शिव को दक्षिणामूर्ति स्वरूप में भी पूजा जाता है। दक्षिणामूर्ति शिव के सबसे महान अवतार थे। वे गुरुओं के गुरु हैं। भगवान महाकाल की पूजा से ज्ञान चाहने वालों को ज्ञान, धन चाहने वालों को समृद्धि, मोक्ष चाहने वालों को मुक्ति मिल जाती है। दक्षिणमुखी होने के कारण इस मंदिर का तांत्रिक महत्व भी बढ़ जाता है।
एकमात्र ज्योतिर्लिंग जहां भस्मारती
उज्जैन ज्योतिर्लिंग एकमात्र ज्योतिर्लिंग है, जहां भस्मारती की जाती है। इसके पीछे एक कथा प्रचलित है। जब भगवान शिव ने दूषण नामक राक्षस को मार दिया था, तब उसकी भस्म को शरीर पर लगाकर श्रृंगार किया, तब से यह परंपरा बन गई। पहले नई और ताजी चिता की भस्म को ही महाकाल को अर्पण करते थे, लेकिन अब गाय के उपलों से बनी भस्म भगवान के लिए तैयार की जाती है।
महाकाल पूजा विधि
महाकाल शिव की पूजा विधि बहुत ही सरल है। यदि आप भगवान शिव को केवल जल अर्पण कर देंगे, तब भी भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। हालांकि भगवान शिव का विशेष रुद्राभिषेक पूजा से समस्त प्रकार के आशीर्वाद पाए जा सकते हैं। इसके अलावा आप घर पर भी महाकाल भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं। भगवान शिव पर सोमवार के दिन दूध या दही चढ़ाएं। उसके बाद भोलेनाथ पर चावल अर्पित करें। 'ॐ नमः शिवायः' का जाप करें. इसके बाद बेलपत्र चढ़ाएं और पूजा में पीले चंदन का इस्तेमाल करें। पूजा करने के साथ महामृत्युंज्य मंत्र का 108 बार जाप करें। जिन लोगों नहीं हो पा रहा है।
इन चीजों का करें दान
सोमवार के दिन दूध, दही, सफेद वस्त्र आदि का दान करना चाहिए. जिससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और चंद्रमा से जुड़े दोष भी दूर हो जाते हैं। भगवान शिव भक्त को आर्शीवाद देते हैं। यदि किसी पर पितृ दोष का प्रभाव है तथा वह आर्थिक तंगी से गुजर रहा है, तो उसे सोमवार के दिन कच्चे चावल में काले तिल मिलाकर दान करना चाहिए। इससे व्यक्ति की आर्थिक तंगी खत्म हो जाएगी।
भगवान महाकाल के मंत्र
- - ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
- - ॐ ह्रीं जूं सः भूर्भुवः स्वः।
- - ॐ शिवाय नम: ।
- - ॐ ह्रीं नमः शिवाय ह्रीं ॐ।
- - ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।।
लेखक के बारे में: टीम त्रिलोक
त्रिलोक, वैदिक ज्योतिष, वास्तु शास्त्र और धार्मिक अध्ययनों के प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञों (Subject Matter Experts) की एक टीम है। प्राचीन ज्ञान और आधुनिक संदर्भ के समन्वय पर केंद्रित, त्रिलोक टीम ग्रहों के प्रभाव, आध्यात्मिक अनुष्ठानों और सनातन धर्म की परंपराओं पर गहन और शोध-आधारित जानकारी प्रदान करती है।
प्रामाणिकता के प्रति समर्पित, इस टीम में प्रमाणित ज्योतिषी और वैदिक विद्वान शामिल हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक लेख शास्त्र-सम्मत और तथ्यपरक हो। सटीक राशिफल, शुभ मुहूर्त और धार्मिक पर्वों की विस्तृत जानकारी चाहने वाले पाठकों के लिए त्रिलोक एक विश्वसनीय और आधिकारिक स्रोत है।