
महाकुंभ 2025 - जानिए क्या है प्रयागराज के घाटों का महत्व

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महाकुंभ 2025 - जानिए क्या है प्रयागराज के घाटों का महत्व
महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू होने वाला है। प्रयागराज में आयोजित होने वाले इस महाकुंभ में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान का महत्व है। यह मेला प्रयागराज में आयोजित किया जा रहा महाकुंभ मेला 45 दिन तक चलेगा। इस मेले में करीब 6 करोड़ से ज्यादा लोग विजिट करने वाले हैं। स्नान के लिए लोग यहां घाट पर अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। स्नान के लिए मेले के दौरान भीड़-भाड़ के चलते उन खास घाटों तक पहुंचना आसान नहीं होता है। इन घाटों तक पहुंचने के लिए विशेष रास्ते अपनाने से पहुंचने में सुविधा हो सकती है। आइए जानते हैं प्रयागराज के महाकुंभ मेले में तीन खास घाटों तक कैसे आसानी से पहुंचा जा सकता है।
महाकुंभ 2025 - संगम घाट
संगम घाट प्रयागराज का सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण घाट है। यहां गंगा, यमुना और सरस्वती तीन पवित्र नदियां का संगम होता है और इसीलिए इसे संगम घाट कहते हैं। कुछ लोग इसे त्रिवेणी घाट भी कहते हैं। माना जाता है संगम घाट पर डुबकी लगाने से तीनों नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। महाकुंभ मेले के दौरान यहां भक्त और श्रद्धालु उमड़ पड़ते हैं। प्रयागराज रेलवे स्टेशन से संगम घाट की दूरी लगभग 7 से 8 किलोमीटर है। यहां पहुंचने के लिए स्टेशन से टैक्सी या शेयरिंग ऑटो की सेवा ली जा सकती है। प्रयागराज के इस खूबसूरत घाट पर बोटिंग का मजा लिया जा सकता है.
महाकुंभ 2025- राम घाट
राम घाट पवित्र घाट में से एक है। प्रयागराज के संगम घाट के पास स्थित राम घाट भी श्रद्धालुओं से लेकर पर्यटकों तक के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। इस घाट पर बोटिंग की सबसे शानदार सुविधाएं उपलब्ध है। संगम घाट से राम घाट की दूरी मात्र 3 मिनट की है। प्रयागराज जंक्शन से 6-7 किलोमीटर है। प्रयागराज जंक्शन से यहां पहुंचने टैक्सी या शेयरिंग ऑटो की सेवा ली जा सकती है। इस घाट की सुंदरता शाम के समय होने वाली आरती के दौरान देखने लायक होती है।
महाकुंभ 2025 अरैल घाट
संगम नगरी प्रयागराज में यमुना नदी के किनारे स्थित अरैल घाट अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांति के लिए जाना जाता है। हालांकि, महाकुंभ के दौरान यहां उमड़ी भीड़ में शांति का अनुभव करना थोड़ा कठिन हो सकता है। अरैल घाट से संगम घाट सड़क मार्ग से 30 मिनट की दूरी पर है। महाकुंभ के दौरान गाड़ियों का आवागमन सीमित हो सकता है, इसलिए पैदल चलकर यहां पहुंचना सबसे बेहतर विकल्प हो सकता है.
महाकुंभ 2025 - दशाश्वमेध घाट
मान्यता है कि दशाश्वमेध घाट पर ब्रह्मा जी ने स्वयं ब्रह्मेश्वर महादेव शिवलिंग की स्थापना की थ।. दशाश्वमेध मंदिर में अबतक वह शिवलिंग स्थापित है. यहां एक साथ दो शिवलिंगों ब्रह्मेश्वर और दशाश्वेवर की पूजा होती है। गंगाघाट पर स्थित इस मंदिर में विशेष पूजन का महत्व है।
महाकुंभ 2025 के लिए दशाश्वमेध मंदिर और घाट का जीर्णोद्धार किया गया है। यहां की सुंदरता बढ़ाने के लिए रेड सैंड स्टोन, नक्काशी के साथ साथ लाइटिंग की व्यवस्था की गई है। इससे इस घाट की भव्यता फिर लौट आई है और अब श्रद्धालु मंदिर में दर्शन और पूजन का आनंद ले सकते हैं।
इस महाकुंभ 2025 में आप प्रयागराज जाने का सोच रहे हैं, तो इन जगहों पर जरूर दर्शन करें -
- संकटमोचन हनुमान मंदिर
दारागंज मोहल्ले में गंगा जी के किनारे संकटमोचन हनुमान मंदिर है। यह कहा जाता है कि संत समर्थ गुरू रामदास जी ने यहां भगवान हनुमानजी की मूर्ति स्थापित की थी।
- भारद्वाज मंदिर
मुनि भारद्वाज के समय यह स्थान एक प्रसिद्ध गुरुकुल था। कहा जाता है कि भगवान राम अपने वनवास पर चित्रकूट जाते समय सीता जी एवं लक्ष्मण जी के साथ इस स्थान पर ठहरे थे।
- शंकर विमान मण्डपम
यह मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बना हुआ है। मंदिर चार स्तम्भों पर निर्मित है। इसमें कुमारिल भट्ट, जगतगुरु आदि शंकराचार्य, कामाक्षी माता की मूर्तियां हैं।
-मनकामेश्वर मंदिर
किला के पश्चिम यमुना तट पर मिन्टो पार्क के निकट यह मंदिर स्थित है. यहां काले पत्थर की भगवान शिव का एक लिंग और गणेश एवं नंदी की मूर्ति है।

लेखक के बारे में: टीम त्रिलोक
त्रिलोक, वैदिक ज्योतिष, वास्तु शास्त्र और धार्मिक अध्ययनों के प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञों (Subject Matter Experts) की एक टीम है। प्राचीन ज्ञान और आधुनिक संदर्भ के समन्वय पर केंद्रित, त्रिलोक टीम ग्रहों के प्रभाव, आध्यात्मिक अनुष्ठानों और सनातन धर्म की परंपराओं पर गहन और शोध-आधारित जानकारी प्रदान करती है।
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