
जीवन में प्रेम प्राप्ति के लिए करें मां कात्यायनी की पूजा

59

पूजा
जीवन में प्रेम प्राप्ति के लिए करें मां कात्यायनी की पूजा
चैत्र नवरात्रि में माता कात्यायनी की पूजा का विशेष महत्व है। नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा करना चाहिए। माता प्रेम और विवाह की अधिष्ठात्री देवी हैं। उनकी कृपा से जीवन में प्रेम, सौभाग्य, संतान और सुखद वैवाहिक जीवन मिलता है। माता की पूजा से विवाह संबंधी समस्या दूर होती है। वैवाहिक जीवन में आने वाला तनाव भी दूर होता है। माता कात्यायनी की पूजा बृज की गोपियों ने भी की थी, वे भगवान कृष्ण का प्रेम चाहती थीं। चैत्र नवरात्रि में माता कात्यायनी की पूजा 3 अप्रैल 2025 को होगी।
माता कात्यायनी कैसे प्रकट हुईं
पुराणों की कथाओं के अनुसार माता कात्यायनी को ऋषि कात्यायन की पुत्री कहा जाता है। ऋषि कात्यायन ने मां को पाने के लिए घोर तपस्या की थी। ऋषि की तपस्या से ही प्रसन्न होकर माता ने उनके घर कन्या के रूप में जन्म लिया था। कहते हैं माता कात्यायनी की सबसे पहले पूजा भी कात्यायन ऋषि ने ही की थी। माता का रंग सोने की तरह चमकीला हैं और वे शेर पर सवार रहती हैं। माता की आराधना से वैवाहिक जीवन के समस्त दोष दूर हो जाते हैं।
महिषासुर को मारा था माता कात्यायनी ने
महिषासुर की वध मां कात्यायनी के हाथों ही हुआ था। उनका एक नाम महिषासुरमर्दिनी भी है। जब महिषासुर का आतंक बढ़ गया था, तब मां का दिव्य अवतार हुआ। मां को भगवान विष्णु, भगवान शंकर और अन्य सभी देवताओं ने अपने अस्त्र-शस्त्र दिए हैं। मां का सबसे बड़ा मंदिर बृज में है, क्योंकि इन्हें बृजमंडल की देवी भी कहा जाता है। मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और भव्य है। इनकी चार भुजाएँ हैं। मां कात्यायनी का दाहिनी तरफ का ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में तथा नीचे वाला वरमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है। इनका वाहन सिंह है।
मां को लगता है शहद का भोग
मां कात्यायनी की पूजा में शहद के भोग का विशेष महत्व है। इसके साथ ही हलवा और खीर का भोग भी मां को अर्पण किया जा सकता है। मां को लाल रंग बेहद प्रिय है। मां की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए 108 कमल के फूल या गुड़हल के फूल अर्पित करना चाहिए। इन फूलों से मां के लिए यज्ञ भी किया जा सकता है। यदि आप किसी विशेष पूजा को करने में असमर्थ हैं, तो मां को ऊं कात्यायनी नम: मंत्र से माता को 108 लाल पुष्प अर्पण करें। मां की विशेष पूजा में दुर्गासप्तशती का पाठ भी कर सकते हैं।
मां के लिए जप मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
इसके अलावा इस मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
कात्यायनी पूजा से लाभ
- माता की पूजा से जीवन शुभमय बनता है।
- मां कात्यायनी शत्रुहंता है, इसलिए इनकी पूजा करने से विरोधी या शत्रु समाप्त हो जाते हैं।
- मां की पूजा में ध्यान आज्ञा चक्र पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
- यदि वैवाहिक जीवन में किसी भी तरह की समस्या है, तो माता कात्यायनी की पूजा करना विशेष फलदायी रहता है।
- मां की पूजा से समस्त सुख, वैभव और ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं।
- गुरु और शुक्र ग्रह से लाभ प्राप्त करने के लिए भी मां कात्यायनी की पूजा करना लाभकारी रहता है।
लेखक के बारे में: टीम त्रिलोक
त्रिलोक, वैदिक ज्योतिष, वास्तु शास्त्र और धार्मिक अध्ययनों के प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञों (Subject Matter Experts) की एक टीम है। प्राचीन ज्ञान और आधुनिक संदर्भ के समन्वय पर केंद्रित, त्रिलोक टीम ग्रहों के प्रभाव, आध्यात्मिक अनुष्ठानों और सनातन धर्म की परंपराओं पर गहन और शोध-आधारित जानकारी प्रदान करती है।
प्रामाणिकता के प्रति समर्पित, इस टीम में प्रमाणित ज्योतिषी और वैदिक विद्वान शामिल हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक लेख शास्त्र-सम्मत और तथ्यपरक हो। सटीक राशिफल, शुभ मुहूर्त और धार्मिक पर्वों की विस्तृत जानकारी चाहने वाले पाठकों के लिए त्रिलोक एक विश्वसनीय और आधिकारिक स्रोत है।