
मातंगी जयंती 2025 - संगीत और आकर्षण की देवी

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पूजा
मातंगी जयंती 2025 - संगीत और आकर्षण की देवी
दस महाविद्याओं में नवें स्थान पर आने वाली भगवती माता मातंगी की जयंती वैशाख शुक्ल तृतीया यानी अक्षय तृतीया को मनाई जाएगी। वे महाविद्या हैं और उन्हें तांत्रिक सरस्वती भी कहा जाता है। दुर्गासप्तशती के सातवें अध्याय की शुरुआत में मां का ध्यान दिया गया है। जिसमें एक शुक यानी तोता मां के कान में हमेशा मंत्र बोलता रहता है। मातंगी देवी को वैवाहिक जीवन को खुशहाल और समृद्ध बनाने वाली देवी भी माना जाता हैं। पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ देवी मातंगी का पूजन करने से वैवाहिक जीवन सुखी रहता हैं। देवी मातंगी अपने भक्तों अभय होने का वरदान देती हैं।
मातंगी जयंती का महत्व-
हमारे धर्म शास्त्रों में मातंगी जयंती को बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है। साल 2025 में माता मातंगी की जयंती 30 अप्रैल को मनाई जाएगी। मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति मातंगी जयंती के दिन देवी मातंगी की पूजा अर्चना करता है माँ मातंगी उसे सर्व सिद्धियों का वरदान प्रदान करती है। मातंगीजयंती के अवसर पर सभी देवी मंदिरों में उनकी पूजा अर्चना की जाती है। मातंगी जयंती के अवसर पर कन्या पूजन करने का भी विधान है। इस दिन देवी मातंगी को भोग लगाकर सभी भक्तों में माता का प्रसाद बांटा जाता है।
माँ मातंगी का स्वरूप-
• शास्त्रों में बताया गया है की मतंग भगवान शिव के अनेको नामो में से एक है। उनका एक नाम श्यामला है। वे माता ललिता के साथ ही रहती है। श्रीविद्या के उपासक माता श्यामला की आराधना जरूर करते हैं। हमारे पौराणिक धर्म पुराणों के अनुसार भगवान शिव की आदिशक्ति देवी मातंगी को ही माना गया है। देवी मातंगी के मस्तक पर चंद्र देव विराजमान रहते हैं।देवी मातंगी लाल रंग के वस्त्रों में सुशोभित रहती हैं। ये सिंह पर सवार रहती है और ये अपने पैरों में लाल रंग की पादुका और गले में लाल माला पहनती हैं।देवी मातंगी अपने हाथों में धनुष बाण ,शंख, पास, कटार, छत्र, त्रिशूल, अक्ष माला आदि धारण करती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो भी मनुष्य पलाश के फूलो, मल्लिका के फूलों और बेल पत्रों से मां मातंगी की आराधना करता है उसके अंदर आकर्षण और स्तंभन शक्ति उत्पन्न होती है।
मातंगी जयंती पूजन विधि-
• देवी मातंगी की साधना हमेशा रात के समय ही करनी चाहिए। देवी मातंगी की पूजा को हमेशा रात्रि में 9 बजे के पश्चात् ही शुरू करना चाहिए.
• मातंगी जयंती के दिन देवी मातंगी की पूजा करने के लिए सर्वपर्थम स्नान करें. स्नान करने के बाद साफ़ सुथरे लाल रंग के वस्त्र पहनें।
• अब अपने घर के किसी एकांत कमरे में या अपने घर के पूजा कक्ष में पश्चिम दिशा की ओर अपना मुंह करके बैठ जाएं।
• देवी मातंगी की पूजा में बैठने के लिए हमेशा लाल रंग के आसन का इस्तेमाल करें।
• अब अपने समक्ष एक लकड़ी की चौकी स्थापित करे. अब इस चौकी पर थोड़ा सा गंगाजल छिड़ककर उसे शुद्ध कर लें।
• अब इस चौकी पर लाल रंग का कपडा बिछाएं।
• अब माँ मातंगी की तस्वीर के समक्ष शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें। देवी मातंगी को लाल रंग के फूल चढ़ाएं।
• मातंगी जयंती के दिन देवी मातंगी के कवच का पाठ अवश्य करें।
देवी मातंगी पूजा के लाभ
मातंगी पूजा से आप भौतिक जीवन को भोगते हुए आध्यात्म की उँचाइयो को छू सकते हैं। मातंगी पूजा से जातक को पूर्ण गृहस्थ सुख ,शत्रुओ का नाश, भोग विलास,आपार सम्पदा,वाक सिद्धि, कुंडली जागरण ,आपार सिद्धियां, काल ज्ञान ,इष्ट दर्शन आदि माँ के आशीर्वाद से प्राप्त होते है।
मातंगी जयंती पर जपें ये मंत्र
।। ॐ ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा ।।
लेखक के बारे में: टीम त्रिलोक
त्रिलोक, वैदिक ज्योतिष, वास्तु शास्त्र और धार्मिक अध्ययनों के प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञों (Subject Matter Experts) की एक टीम है। प्राचीन ज्ञान और आधुनिक संदर्भ के समन्वय पर केंद्रित, त्रिलोक टीम ग्रहों के प्रभाव, आध्यात्मिक अनुष्ठानों और सनातन धर्म की परंपराओं पर गहन और शोध-आधारित जानकारी प्रदान करती है।
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