कुंडली के अलग-अलग भावों में राहु क्या फल देता है?

कुंडली के अलग-अलग भावों में राहु क्या फल देता है?

कुंडली के अलग-अलग भावों में राहु क्या फल देता है?

वैदिक ज्योतिष में राहु को एक 'छाया ग्रह' (Shadow Planet) माना जाता है। इसका अपना कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है, लेकिन मानव जीवन पर इसका प्रभाव अत्यंत गहरा और जादुई होता है। राहु को भ्रम, अचानक होने वाली घटनाओं, विदेश यात्रा, राजनीति और तकनीक का कारक माना जाता है। आइए, कुंडली के सभी 12 भावों में राहु के प्रभाव और इसके अशुभ होने पर किए जाने वाले उपायों को विस्तार से समझते हैं।

कुंडली के 12 भावों में राहु का फल

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहु जिस भाव में बैठता है, उस भाव की ऊर्जा को कई गुना बढ़ा देता है। कुछ विद्वानों के अनुसार राहु शनि की तरह काम करता है।

कुंडली में राहु - पहला भाव

प्रथम भाव में राहु व्यक्ति को आत्मविश्वासी और थोड़ा स्वार्थी बना सकता है। ऐसे लोग लीक से हटकर काम करना पसंद करते हैं। यदि राहु शुभ हो, तो व्यक्ति को समाज में अलग पहचान मिलती है, लेकिन अशुभ होने पर यह मानसिक तनाव और भ्रम की स्थिति पैदा करता है। कई बार ऐसे व्यक्ति के विचार एक जगह पर नहीं टिकते हैं।

द्वितीय भाव (धन भाव)

दूसरे भाव में राहु धन और परिवार का प्रतिनिधित्व करता है। यहाँ बैठा राहु व्यक्ति को अचानक धन लाभ तो कराता है, लेकिन वाणी में कठोरता भी देता है। परिवार के सदस्यों के साथ वैचारिक मतभेद होने की संभावना रहती है। दूसरे भाव में राहु होने से व्यक्ति को धन पाने की बहुत ज्यादा इच्छा होती है। अक्सर ही वह धन कमाने के अलग-अलग आइडिया पर काम करता है।

कुंडली में राहु - तृतीय भाव

तीसरे भाव में राहु को बहुत ही शुभ माना जाता है। यहाँ राहु व्यक्ति को अत्यंत साहसी और पराक्रमी बनाता है। ऐसे लोग मीडिया, लेखन या मार्केटिंग के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल करते हैं और दुश्मनों पर विजय प्राप्त करते हैं। यहां बैठा राहु व्यक्ति को आत्मविश्वास देता है और कई तरह के कठिन काम व्यक्ति आसानी से कर सकता है। यहां बैठा राहु तकनीकी रूप से बेहद मजबूत बनाता है।

कुंडली में राहु - चतुर्थ भाव (सुख भाव)

कुंडली में चौथे भाव में राहु मानसिक शांति में कमी ला सकता है। यह माता के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है या घर में कलह का कारण बन सकता है। हालांकि, यह व्यक्ति को अपनी जन्मभूमि से दूर ले जाकर भौतिक सुख-सुविधाएं और बड़ा घर प्रदान करता है। हालांकि यहां बैठा राहु यदि मिथुन या वृषभ राशि में हो, तो कई तरह घर दे सकता है।

पंचम भाव (संतान व विद्या)

यहाँ राहु बुद्धि को तीव्र करता है, लेकिन शिक्षा में रुकावटें भी डाल सकता है। प्रेम संबंधों के मामले में यह भ्रम पैदा करता है और संतान प्राप्ति में कुछ कठिनाइयां आ सकती हैं। शेयर बाजार या सट्टेबाजी में ऐसा राहु अचानक लाभ दिला सकता है। कई बार राहु यहां आपको सामाजिक क्षेत्र में आगे बढ़ाता है।

कुंडली में षष्ठ भाव (रोग, ऋण, शत्रु)

कुंडली में छठे भाव का राहु शत्रुओं का नाश करने वाला होता है। व्यक्ति लंबी बीमारियों से लड़ने की शक्ति रखता है। प्रतियोगी परीक्षाओं और अदालती मामलों में यहाँ बैठा राहु अक्सर जीत दिलाता है। यह 'शत्रुहंता' योग का निर्माण करता है।

सप्तम भाव (विवाह व साझेदारी)

कुंडली के सातवें भाव में राहु वैवाहिक जीवन में चुनौतियां खड़ी कर सकता है। पार्टनर के साथ गलतफहमी या अनबन की स्थिति बनी रहती है। व्यापार में साझेदारी सोच-समझकर करनी चाहिए, क्योंकि यहाँ राहु धोखे की संभावना बढ़ाता है।

अष्टम भाव (आयु व गुप्त धन)

कुंडली के आठवें भाव का राहु जीवन में उतार-चढ़ाव लाता है। व्यक्ति की रुचि तंत्र-मंत्र और शोध कार्यों में बढ़ती है। यहाँ राहु होने पर वाहन सावधानी से चलाना चाहिए, क्योंकि यह अचानक चोट या दुर्घटना का संकेत दे सकता है।

कुंडली के नवम भाव (भाग्य भाव)

कुंडली के नौवें भाव में राहु व्यक्ति को धर्म के प्रति जिज्ञासु बनाता है, लेकिन वह पारंपरिक मान्यताओं को नहीं मानता। ऐसे लोग अक्सर विदेश यात्राएं करते हैं। पिता के साथ संबंधों में उतार-चढ़ाव आ सकता है, लेकिन भाग्य अचानक चमकता है।

दशम भाव (कर्म भाव)

दसवें भाव का राहु कॅरियर के लिए शानदार माना जाता है। व्यक्ति राजनीति, कूटनीति या तकनीकी क्षेत्र में बहुत ऊंचा पद प्राप्त करता है। समाज में इनका दबदबा रहता है और ये लोग सत्ता के करीब होते हैं।

कुंडली में राहु - एकादश भाव (आय भाव)

ग्यारहवें भाव में राहु बहुत लाभकारी होता है। यह व्यक्ति की हर इच्छा पूरी करने में मदद करता है। आय के कई स्रोत बनते हैं और समाज के प्रभावशाली लोगों से मित्रता होती है। इसे 'धन वर्षा' वाला स्थान भी कहा जा सकता है।

द्वादश भाव (व्यय भाव)

बारहवें भाव में राहु फिजूलखर्ची बढ़ाता है और अनिद्रा (नींद न आना) की समस्या दे सकता है। हालांकि, विदेश जाकर बसने या विदेशी कंपनियों से धन कमाने के लिए यह स्थिति बहुत अनुकूल मानी जाती है।

कुंडली में राहु खराब होने पर क्या करें उपाय ?

  • भगवान शिव की उपासना: राहु के दोष को दूर करने के लिए शिव जी की पूजा सबसे उत्तम है। नियमित रूप से शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करें।
  • पक्षियों को दाना: सात प्रकार के अनाज (सतनाजा) पक्षियों को खिलाने से राहु की शांति होती है।
  • नारियल का उपाय: शनिवार के दिन एक नारियल को बहते जल में प्रवाहित करना राहु के बुरे प्रभाव को कम करता है।
  • स्वच्छता का ध्यान: राहु को गंदगी पसंद है। इसलिए अपने घर और विशेषकर शौचालय को हमेशा साफ रखें।
  • चांदी का टुकड़ा: अपने पास हमेशा चांदी का एक चौकोर टुकड़ा रखें, इससे मानसिक शांति मिलती है।
  • गरीबों की सेवा: कुष्ठ रोगियों या सफाई कर्मचारियों की मदद करना और उन्हें काली वस्तुएं (जैसे कंबल) दान करना राहु को प्रसन्न करता है।
  • सरस्वती वंदना: राहु बुद्धि को भ्रमित करता है, इसलिए देवी सरस्वती की पूजा करने से विचारों में स्पष्टता आती है।

लेखक के बारे में: टीम त्रिलोक

त्रिलोक, वैदिक ज्योतिष, वास्तु शास्त्र और धार्मिक अध्ययनों के प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञों (Subject Matter Experts) की एक टीम है। प्राचीन ज्ञान और आधुनिक संदर्भ के समन्वय पर केंद्रित, त्रिलोक टीम ग्रहों के प्रभाव, आध्यात्मिक अनुष्ठानों और सनातन धर्म की परंपराओं पर गहन और शोध-आधारित जानकारी प्रदान करती है।

प्रामाणिकता के प्रति समर्पित, इस टीम में प्रमाणित ज्योतिषी और वैदिक विद्वान शामिल हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक लेख शास्त्र-सम्मत और तथ्यपरक हो। सटीक राशिफल, शुभ मुहूर्त और धार्मिक पर्वों की विस्तृत जानकारी चाहने वाले पाठकों के लिए त्रिलोक एक विश्वसनीय और आधिकारिक स्रोत है।

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