क्या होती है योगिनी दशा, कैसे करती है आपको प्रभावित
ज्योतिष शास्त्र में विम्शोत्तरी दशा के आधार पर गणना की जाती है। विंशोत्तरी दशा 120 सालों की होती है। उसी तरह योगिनी दशा भी मान्यता रखती है। ये दशा 36 साल की होती है और इनका व्यापक असर सभी पर दिखता है। योगिनी दशाओं को नक्षत्रों के आधार पर बांटा गया है। कुछ मान्यताओं के अनुसार योगिनी दशाओं को भगवान शिव ने शुरू करने की आज्ञा दी थी।
क्या है योगिनी दशाओं के नाम
योगिनी दशाओं के नाम मंगला, पिंगला, धान्या, भ्रामरी, भद्रिका, उल्का, सिद्धा और संकटा है। इनकी समयावधि क्रमश: 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 वर्ष होती है। इन सबका कुल योग 36 वर्ष होता है। अर्थात् पहली मंगला दशा 1 वर्ष, दूसरी 2 वर्ष इसी तरह आठवीं संकटा दशा 8 वर्ष की होती है।
कैसा होता है योगिनी दशा का फल
मंगला योगिनी दशा
योगिनी की पहली दशा मंगला होती है। इस मंगला दशा के स्वामी चंद्र होते हैं। यदि किसी व्यक्ति का जन्म आर्द्रा, चित्रा या श्रवण नक्षत्र में होता है, तो उनकी मंगला दशा होती है। मंगला योगिनी की कृपा से ऐसा व्यक्ति सभी प्रकार के सुख और वैभव प्राप्त करता है। यह एक शुभ दशा है।
योगिनी दशा पिंगला
पिंगला दूसरी दशा है। यानी मंगला के बाद हमेशा पिंगला ही होगी, लेकिन यदि किसी जातक का जन्म पुनर्वसु, स्वाति या धनिष्ठा नक्षत्र में होता है, तो उस व्यक्ति के जीवन की शुरुआत पिंगला योगिनी दशा से होती है। यह दशा सूर्य के अधीन आती है और इस दशा में यश प्राप्ति होती है।
धान्या दशा
तीसरी योगिनी दशा धान्या होती है। इसके स्वामी बृहस्पति हैं और यह तीन वर्षों के लिए होती है। जिनका जन्म पुष्य, विशाखा, शतभिषा नक्षत्र में होता है, उनका जीवन धान्या से प्रारंभ होता है। किसी भी व्यक्ति के जीवन में जब धान्या दशा आती है, तो धन, धान्य, सौभाग्य प्रदान करती है।
भ्रामरी दशा
भ्रामरी चौथी दशा है। इसके स्वामी मंगल है। जब व्यक्ति का जन्म अश्विनी, अश्लेषा, अनुराधा या पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में होता है, तो उसका जीवन भ्रामरी योगिनी दशा से शुरू होता है। यह दशा व्यक्ति को क्रोधी बनाती है। क्रोध के कारण कई बार आर्थिक नुकसान होने लगता है। कई प्रकार के संकट जीवन में आने लगते हैं।
भद्रिका योगिनी दशा
भद्रिका एक शुभ दशा है। इसके स्वामी बुध है। जब भी किसी व्यक्ति का जन्म भरणी, मघा, ज्येष्ठा या उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में होता है, तो उसका जीवन भद्रिका दशा से शुरू होता है। भद्रिका दशा में आप अच्छे काम करने के लिए प्रेरित होते हैं। इसमें शत्रुओं का शमन होता है और जीवन में कई तरह के व्यवधान आने लगते हैं।
उल्का दशा
उल्का दशा का नंबर छठा है। यह 6 वर्षों तक व्यक्ति को प्रभावित करती है। जिनका जन्म कृतिका, पूर्वा फाल्गुनी, मूल या रेवती नक्षत्र में होता है। उसकी जन्मकालीन योगिनी दशा उल्का होती है। यह दशा व्यक्ति को काफी मेहनती बनाती है। हालांकि इस दशा में मेहनत का उतना फल नहीं मिलता। कई बार व्यक्ति निराश होने लगता है।
सिद्धा योगिनी दशा
सिद्धा योगिनी दशा सात साल तक चलती है। इसके स्वामी शुक्र है। यदि किसी व्यक्ति का जन्म रोहिणी, उत्तराफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में होता है, तो व्यक्ति को सिद्धा की दशा से जीवन शुरू होता है। इस दशा के आने पर व्यक्ति भौतिक सुख प्राप्त करता है। सिद्धा योगिनी दशा आने पर व्यक्ति को जीवन में सबसुख प्राप्त होते हैं।
संकटा
योगिनी दशा चक्र की आठवीं और अंतिम दशा संकटा होती है और इसके स्वामी राहू हैं। जिनका जन्म मृगशिर, हस्त, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में होता है उनकी जन्मकालिक दशा संकटा होती है। कुछ जगहों पर संकटा को राहु और केतु दोनों ग्रहों के साथ माना जाता है। जैसा कि इसका नाम है इस दशा में कई तरह के संकट आते हैं।
ऐसे अनुकूल बन सकती है योगिनी दशा
बुरी योगिनी दशा में भी अच्छे फल प्राप्त किए जा सकते हैं। इसके लिए शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि से पूर्णिमा तक कारक ग्रह के दिन संबंधित दशा के 5 हजार मंत्र जाप करना चाहिए। राहु के लिए रविवार और केतु के लिए मंगलवार का चयन किया जा सकता है।
ये हैं योगिनियों के मंत्र
मंगला : ॐ नमो मंगले मंगल कारिणी, मंगल मे कर ते नम:
पिंगला : ॐ नमो पिंगले वैरिकारिणी, प्रसीद प्रसीद नमस्तुभ्यं
धान्या : ॐ धान्ये मंगल कारिणी, मंगलम मे कुरु ते नम:
भ्रामरी : ॐ नमो भ्रामरी जगतानामधीश्वरी भ्रामर्ये नम:
भद्रिका : ॐ भद्रिके भद्रं देहि देहि, अभद्रं दूरी कुरु ते नम:
उल्का : ॐ उल्के विघ्नाशिनी कल्याणं कुरु ते नम:
सिद्धा : ॐ नमो सिद्धे सिद्धिं देहि नमस्तुभ्यं
संकटा : ॐ ह्रीं संकटे मम रोगंनाशय स्वाहा

लेखक के बारे में: टीम त्रिलोक
त्रिलोक, वैदिक ज्योतिष, वास्तु शास्त्र और धार्मिक अध्ययनों के प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञों (Subject Matter Experts) की एक टीम है। प्राचीन ज्ञान और आधुनिक संदर्भ के समन्वय पर केंद्रित, त्रिलोक टीम ग्रहों के प्रभाव, आध्यात्मिक अनुष्ठानों और सनातन धर्म की परंपराओं पर गहन और शोध-आधारित जानकारी प्रदान करती है।
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