Kumbh 2025 - जानिए नागा साधु की हकीकत और जीवनचर्या

Kumbh 2025 - जानिए नागा साधु की हकीकत और जीवनचर्या

Kumbh 2025 - जानिए नागा साधु की हकीकत और जीवनचर्या

कुंभ 2025 का सबसे बड़ा आकर्षण नागा साधु होंगे। जब भी और जहां भी कुंभ मेले का आयोजन होता है बहुत से नागा साधु आकर रहस्यमयी प्रकृति से सभी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। नागा साधुओं के इस रहस्य को लाखों लोग जानना और समझना चाहते हैं। नागा साधु समाज से अलग रहते हैं, लेकिन कुंभ के दौरान ये लोग अपनी तपस्या छोड़कर दिव्य नदियों में स्नान के लिए आते हैं और तब इनके दर्शनों का लाभ ले सकते हैं। कुंभ 2025 में गंगा के घाट पर बड़ी संख्या में नागा साधु का दर्शन किया जा सकता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार नागा शब्द संस्कृत के 'नग' शब्द से निकला है, जिसका अर्थ होता है पहाड़ पर रहने वाले। साधु बनने के बाद पहाड़ों पर रहकर ही कठिन तपस्या करते हैं, इसलिए इन्हें नागा साधु कहा जाता है। ये लोग अलग-अलग अखाड़ों यानी परंपरा का पालन करते हैं। आज हम आपको बताने वाले हैं कि नागा साधु बनने की प्रक्रिया क्या है और इनका जीवन कैसा होता है।

कुंभ 2025- नागा साधु कैसे बनते हैं

सबसे पहले आपको बता दें कि नागा साधु और नागा संन्यासी एक है, तो यह बिल्कुल गलत है। कुछ मान्यताओं के अनुसार नागा साधु की परंपरा आदि शंकराचार्यजी के समय से हुई है, जब सनातन धर्म को बचाने के लिए योद्धाओं की जरूरत थी। नागा साधु और नागा संन्यासी में उतना ही अंतर है जितना एक सैनिक और कमांडो में, जैसे हर सैनिक कमांडो नहीं बन पाता है। संन्यासी बनना साधु बनने से ज्यादा कठिन है। नागा संन्यासी बनने के लिए 12 साल की कठिन तपस्या करनी पड़ती है, और शुरुआत अपने पिंड दान से होती है। नागा साधु को साधु बनने के लिए घर से अनुमति लेने की जरूरत होती है। इसके बाद अपने समस्त रिश्तों को मृत मान लेना होता है और उनके लिए श्राद्धकर्म कर चुका होता है। पिंडदान के बाद जब साधु कुंभ डूबकी लगाता है, तो उसके सभी रिश्ते नाते टूट जाते हैं। कुंभ 2025 में हजारों लोग नागा साधु बनने की दीक्षा लेंगे।

नागा साधु की साधना

शुरुआती शर्तों को पूरा करने के बाद नागा साधु हिमालय में जाकर साधना करते हैं। इस साधना में इन्हें धूप, गर्मी, पानी, ठंड को सहन करके तपस्या करना होती है। हिमालय में ठंड को सहते हैं और केवल पत्ते या फल खाकर अपना जीवन व्यतीत करते हैं। इस समय इनका वस्त्र केवल विभूति होती है। कठिन तपस्या इनके शरीर में ऊर्जा पैदा करती है। इतने कठिन तापमान में तपस्या के बाद बाद ये लोग नागा साधु किसी भी मौसम में जीवित रहने लायक बन जाते हैं। कुंभ 2025 में कड़ी ठंड के बावजूद इन नागा साधुओं को देखा जा सकता है।

नागा साधुओं का वेश

- भस्म- नागा साधु कपड़ों की जगह केवल भस्म को अपने शरीर पर धारण करते हैं। - जटाएं - जटाएं इनकी शोभा होती है। कई नागा साधुओं की जटाएं 1 से डेढ़ मीटर लंबी भी होती है। - हथियार - ये लोग अपने हाथ में हथियार जैसे त्रिशुल या तलवार जरूर रखते हैं।

अचानक गायब क्यों हो जाते हैं नागा साधु?

जब भी कुंभ का मेला लगता है तो नागा साधु अपने अखाड़े के साथ बड़ी संख्या में दिखाई देते हैं। जब मेला खत्म होने वाला होता है, तो ये कई बार पूर्ण वेश के साथ तो कई बार रात के गहरे अंधेरे में हिमालय लौट जाते हैं। कुछ नागा साधु देश के अलग-अलग तीर्थों पर भ्रमण करते हैं।

नागा साधु के 4 से 13 मठ हो गए

धर्म के जानकारों के अनुसार गुरु शंकराचार्य ने नागा संन्यासियों की परंपरा शुरू की थी। शुरुआत में नागा साधुओं को 4 मठों में दीक्षा दी जाती थी, लेकिन अब इनकी संख्या बढ़कर 13 हो गई। वहीं पौराणिक शास्त्रों के अनुसार महर्षि वेदव्यास ने इस परंपरा की शुरुआत की थी। इनके नियम बड़े ही कड़े हैं। यदि इन्हें कोई भीक्षा ना मिलें, तो ये लोग भूखे सोते हैं।

धर्म की रक्षा के लिए उठाते हैं अस्त्र-शस्त्र

नागा साधु शास्त्र के भी जानकार होते हैं और शस्त्र विद्या भी जानते हैं। कहा जाता है कि जब देश या सनातन धर्म पर खतरा मंडराता है तो धर्म की रक्षा के लिए धर्मयुद्ध लड़ने नागा साधु आते हैं। मरने के बाद भी इन्हें जल या थल समाधि दी जाती है। नागा साधुओं में दाह संस्कार नहीं होता है। कुंभ 2025 में आप विभिन्न नागा साधुओं के दर्शन करके विशेष आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

लेखक के बारे में: टीम त्रिलोक

त्रिलोक, वैदिक ज्योतिष, वास्तु शास्त्र और धार्मिक अध्ययनों के प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञों (Subject Matter Experts) की एक टीम है। प्राचीन ज्ञान और आधुनिक संदर्भ के समन्वय पर केंद्रित, त्रिलोक टीम ग्रहों के प्रभाव, आध्यात्मिक अनुष्ठानों और सनातन धर्म की परंपराओं पर गहन और शोध-आधारित जानकारी प्रदान करती है।

प्रामाणिकता के प्रति समर्पित, इस टीम में प्रमाणित ज्योतिषी और वैदिक विद्वान शामिल हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक लेख शास्त्र-सम्मत और तथ्यपरक हो। सटीक राशिफल, शुभ मुहूर्त और धार्मिक पर्वों की विस्तृत जानकारी चाहने वाले पाठकों के लिए त्रिलोक एक विश्वसनीय और आधिकारिक स्रोत है।

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